11 February 2017

खर्राटे के कारण और उपचार




 Treatment for snoring in Hindi


अगर आपका पार्टनर खर्राटे लेता है तो समझिए आप की रातो की नींद तो उड़ ही जाएगी।  कई लोग खर्राटों को छोटी सी समस्या समझ कर उस पर ध्यान नहीं देते।  जबकि यह एक गंभीर समस्या है।  खर्राटे लेना आदत नहीं बल्कि एक बीमारी है जिसका इलाज जरुरी है।  नहीं तो यह आप के पार्टनर को परेशान कर देगा।  और हृदय और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।


क्यों आते है खर्राटे ?


नींद में जब साँस लेने में रूकावट पैदा होती है तब खर्राटे आते है।
नाक से साँस लेना पडत है और तेज आवाज निकलती है।
गले का पिछला हिस्सा संकरा हो जाने की वजह से साँस लेने व छोड़ने में दिक्कत होती है।
ऑक्सीजन संकरी जगह से होकर गुजरता है, जिससे उसके आस पास के टिशूज vibrate होने लगते है।  vibration के साथ आनेवाली इस आवाज को खर्राटे कहते है।


खर्राटों का कारण :


खर्राटों के कई कारण हो सकते है।  इन कारणों को यदि जान ले तो इलाज करना आसान हो जायेगा।

पीठ के बल सोने से जीभ और तालु गले के पीछे की और चली जाती है , जिससे साँस लेने और छोड़ने में रुकावट पैदा हो जाती है।

नाक या मुह में सूजन की वजह से भी खर्राटे आते है।  किसी प्रकार की एलर्जी , इन्फेक्शन , धूम्रपान , अल्कोहल अदि सूजन की वजह हो सकती है।

वजन ज्यादा होने की वजह से  या मोटापे की वजह से गले के आसपास फैट जमा हो जाता है ,जिससे सोते समय साँस की नाली डाब कर संकरी हो जाती है।

खाने में ज्यादा नमक की वजहसे भी खर्राटे आ सकते है।

जीभ का मोटा होना , नाक की हड्डी का टेढ़ा होना या बढ़ जाना या नक् के अंदर के मास के बढ़ने से भी खर्राटों की समस्या हो सकती है।

गर्दन छोटी होने पर या फिर साँस की नाली संकरी होने पर भी खर्राटे आ  सकते है।

बच्चो को भो खर्राटे आते है , जिसकी वजह टॉन्सिल , जुकाम , जीभ का मोटा होना या नाक की हड्डी का टेढ़ा होना हो सकता है।

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खर्राटो से बचने के उपाय :


जो खर्राटे जीभ के मोटा होने , नाक की हड्डी टेढ़ी होने , नाक के अंदर मांस बढ़ जाने या फिर टॉन्सिल की वजहसे आते है।  उनके लिए सर्जरी ही एक मात्र इलाज है , लेकिन अगर समस्या बड़ी नहीं , फिर भी आप खर्राटे भरते हैं तो जीनशैली में बदलाव करके काफी हद तक खर्राटों से छुटकारा पा सकते है।

वजन अधिक  है तो उसे काम करे।

वर्कआउट और योग से भो  यह परेशानी हल हो सकती है।  गले की मासपेशियो के लिए exercise करे।
smoking ,धूम्रपान न करे।  धूम्रपान की वजह से फेफड़ो तक ऑक्सीजन कम पहुचता है।  ऑक्सीजन ज्यादा लेने के लिए नाक व मुह को और मेहनत करनी पड़ती है , जिससे खर्राटे आते है।

अल्कोहल और नींद की गोलिया न ले।  ये पदार्थ गले की मासपेशिया को रिलैक्स कर देते है।  जिससे साँस की नाली संकीर्ण हो जाती है।   साँस लेने में रुकावट पैदा होती है।

करवट लेकर सोए।  पीठ के बल सोने से साँस लेने में दिक्कत हो सकती है।

सोने का एक वक़्त बनाए।  कोशिश करे की रोजाना आप उसी टाइम पर सो जाए सोते वक़्त शरीर को आराम दे।

बेड पर समतल सोने के बजाए सर को थोड़ा ऊँचा करके सोए।

रात को हल्का भोजन करे।

नाक बंद होने से या सर्दी जुकाम होने से भी खर्राटे आते है।  डॉक्टर को देखा के सर्दी जुकाम की दवाई ले।



एंटी स्नोरिंग डिवाइस :


मार्किट में आप को कई एंटी स्नोरिंग डिवाइस की मदत से खर्राटों को कम कर सकते है। इसे नक् के ऊपर चिपकाया जाता है। यह नथुनों को थोड़ा सा ऊपर उठाकर खोल देता है।  जिससे व्यक्ति मुह की जगह नाक से आराम से साँस ले पता है।

नेसल स्ट्रिप या डायलेटर्स : यह खर्राटों में लाभकारी हो सकता है।  इसे नाक के उप्पर चिपकाया जाता है।  यह नथुनों को थोड़ा सा ऊपर उठा कर खोल देता है।  जिससे व्यक्ति मुह की जगह नाक से आराम से साँस ले पता है।

सीपीएपी : contentious positive airway pressure  machine : एक तरह का मास्क होता है।  जो नाक व मुह को कवर कर लेता है। जिससे व्यक्ति सोते समय आराम से साँस ले पाता है।

एमएड़ी : mandibular advance device को सोते समय मुह में लगाया जाता है।  जिससे खर्राटों की आवाज नहीं आती।  जीभ में vibration की वजहसे होनेवाले खर्राटों में यह device कारगर होता है।   यह जबड़े और जीभ को आगे की और रखता है , ताकि गले के पिछले हिस्से में जगह बन जाए और जीभ को vibrate करने वाली साँस संकीर्ण होने से रोकता है।


खर्राटों को रोकने के लिए कुछ mobile  apps :

  1. anti snoring 
  2. anti snor sleep laboratory
  3. anti snor light
  4. snoring defective pro  

क्यों खतरनाक है खर्राटे आना :

जो लोग खर्राटो को महज थकान से जोड़कर या छोटी समस्या समझकर उसे ignore करते है , उन्हें सतर्क होने की जरुरत है।  खर्राटों का आना कई रोगों की और इशारा करता है।

नींद पूरी नहीं होती है।  पुरे दिन व्यक्ति थका थका  सा महसूस करता है।  इसके आलावा नींद में कमी होने की वजह से हार्मोन्स संतुलन बिघडता है।


अगर खर्राटों का इलाज न किया जाए तो यह स्लीप एप्निया का कारण बन सकता है।

खर्राटों की वजहसे दिल का दौर पड़ने का खतरा भी रहता है।  क्यों की खर्राटों की वजहसे blood circulation बाधीत होता है। साथ ही oxygen की कमी होने की वजहसे दिल को ऑक्सीजन के लिए ज्यादा pressure लगाना पड़ता है।

खर्राटों की वजहसे शरीर में oxygen का स्तर घट जाने से blood pressure भी बढ़ सकता है।

स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है।

खर्राटों की वजहसे कई बार व्यक्ति साँस लेने के लिए मुह खोलकर सोता है , जिससे हवा बिना छीने सीधे फेफड़ो तक पहुच जाती है , जिससे फेफड़ो में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।



योग द्वार खर्राटों से मुक्ति :


ओम का उच्चारण करे।  सुखासन या पद्मासन में बैठ जाए। दोनों हाथो को ज्ञान मुद्रा में रखे।  गहरी साँस भरे और ओम का उच्चारण करे।

सिंहासन  करने से भी खर्राटों से रहत मिलेगी।  दोनों पैरो को मोड़कर बैठ जाए।  अपने कुल्हो को पैरो पर रखकर आगे की तरफ झुके ,अपने दोनों हाथो को घुटनो पर रखे। साँस को आराम से अंदर ले और साँस को बहार छोड़ते समय अपनी जीभ को बाहर निकालकर मुह से सिंह की तरह घुर्राने की आवाज निकले। इससे गले की मासपेशियो का व्यायाम होता है।

नियमित प्रणायाम करे।  पद्मासन या सुखासन में बैठ जाए और आंखे बंद करके गहरी साँस ले और छोड़े।  इससे फेफड़ो व साँस नाली तक की कसरत होती है। 

भ्रामरी आसन भी खर्राटे से आराम दिलाने में मदत करता है।  भ्रामरी आसन के लिए सुखासन में बैठ जाए।  दोनों हाथो के अंगूठे से दोनों कानो को बंद करके अनामिका उंगली को माथे पर और मध्यमा , तर्जनी को आखो पर रखे।  अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखे लंबी और गहरी साँस फेफड़ो में भर ले और कुछ देर के लिए साँस रोके इसके बाद भवरे जैसी आवाज करते हुए साँस को बाहर छोड़े , फिर कुछ देर के लिए साँस को बाहर ही रोके। 

गले की मासपेशिया को मजबूत बनाने के लिए हो सके तो कोई गाना play करके गाने के साथ आप भी जोर जोर से गए।  इससे गले की मासपेशियो का आराम होता है।  बासुरी और माउथॉरगन जैसे यंत्र बजाना भी गले के लिए अच्छा रहता है। 

नोट : डॉक्टर की सलाह जरूर ले।


1 comment:

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