3 August 2016

व्हीलचेयर ब्यूटी दिव्या अरोरा

व्हीलचेयर ब्यूटी दिव्या अरोरा 

Wheelchair Beauty Divya Arora in Hindi


जिनके अंदर कामियाब होने की दृढ़ इच्छाशक्ति होती है वे किसी भी हालात का मुकाबला कर लेते है और कठिन से कठिन जंग जीत लेते है।  फिर चाहे कोई गंभीर बीमारी ही क्यों न हो।  इसलिए कभी भी किसी बीमारी के आगे समर्पण नहीं करना चाहिए।  अगर बहादुरी से डटकर मुकाबला किया जाये तो नाइलाज बीमारी को भी धुल चटाया जा सकता है।  कहा भी जाता है की बहादुर लोगो की  मदत भगवान करता है।  हिम्मत न हारनेवाली दिव्या अरोरा की कहानी बड़ीप्रेरणादायी और भावनापूर्ण है।  दोस्तों मैंने आज दिव्या अरोरा की Story पढ़ी और मुझे बहोत अच्छी लगी so मैं आप सब से साथ Sher  कर रहा हु।



साल 2013 में Miss Wheelchair Beauty Contest की सुंदरी दिव्या अरोरा Cerebral Palsy यानी दिमागी लकवे बीमारी  रहे लोगो  के लिए प्रेरणास्रोत्र है।  आइये जानते है Precedent award पा चुकी दिव्या की कहानी।

बचपन से ही बीमारी के कारण बहोत परेशानियों  का सामना करना पड़ा।  आज भले ही वो आर्थिक दृष्टि से बेहतर पोजीशन में है ,लेकिन पहले ऐसा नहीं था Cerebral Palsy के बारे में यहाँ जागरूकता न होने से वे थोड़ी खिन्न रहती थी।  दिव्या कहती है '' अपने देश में Cerebral Palsy को लेकर लोगो में जागरूकता की बहोत कमी है ''  बचपन को याद करते हुए वो कहती है, '' शारीरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद बचपन में मेरा आयक्यू  स्तर आम बच्चो की तरह था।  मैं इसका भरपूर इस्तमाल करना चाहती थी।  लिहाजा मैंने उच्च शिक्षा हासिल करने का फैसला किया मैंने तय कर लिया था की अपनी शारीरिक अक्षमता को आड़े नहीं आने दूँगी।

समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री पानेवाली दिव्या की जिंदगी के प्रति सोच सकारात्मक है ,वह कहती  है , ''Cerebral Palsy के चलते मैं बचपन से ही व्हीलचेयर पर हु , डॉक्टरों ने कहा है की , जीवन भर मेरे हालात ऐसी ही रहेगी लेकिन मुझे कोई गम नहीं , क्यों की मेरा हौसला मेरी इच्छाशक्ति मेरे साथ है।  इसलिए मेरे अंदर की दिव्या बीमारी के आगे हथियार डालने से साफ मना कर चुकी है। वह जीवन से बेपनाह मोहब्बत करती है और जीवन भरपूर जीना चाहती है।

Wheelchair Beauty Divya Arora in Hindi


 सच पूछो तो मौत का अलिगंन करने तक मैं 18 साल की बनी रहना चाहती हु।  दरअसल मेरा बचपन आम बच्चो जैसा नहीं रहा।  मेरी ढेर सारी ख्वाइश थी। मैं खेलना चाहती थी।  मौज -मस्ती करना चाहती थी , लेकिन अपनी सेहत के कारन ऐसा नहीं कर पाई। ''



दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से डबल मास्टर डिग्री हासिल करनेवाली दिव्य अरोरा पिछले सात साल से मुंबई में है।  दरअसल वह फिल्म निर्देशक बनना चाहती है।  उन्होंने एक कहानी लिखी है।  अब उसी पर फिल्म बनाने उनका इरादा है।  इससे पहले दिव्या 80 के दशक में बनी शिव का इंसाफ में बतौर बाल कलाकार और साल 2011 में आई अनुराग कश्यप की शैतान में रुपहले पर्दे पर दिख चुकी है।


दिव्या के लिए सबसे  गौरवशाली लम्हा वह था जब 24 नवंबर 2013 को मुंबई में हुई ''मिस इंडिया व्हीलचेयर'' प्रतियोगिता में प्रथम रनअप रही।  '' मेरे लिए वह बेपनाह ख़ुशी का लम्हा था लेकिन मुझे उससे जड़ कामियाबी हासिल करनी है '' उनके लिए दूसरी बार ख़ुशी का पल वह रहा , जब संजय लीला भंसाली ने उन्हें फिल्म गुजारिश में ऋतिक रोशन को ट्रेनिंग देने का आग्रह किया।  क्यों को फिल्म में ऋतिक को भी ऐसे ही एक बीमारी से पीड़ित युवक का किरदार निभाना था। 


दिव्या ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से अपनी पढाई पूरी की और वो अपने बैच में टॉपर रही।  वह कहती है ''मुझे कभी भी नंबर दो Position पसंद नहीं।  मेरा मानना है की जो भी करो उसमे अव्वल नंबर रहो।  दरअसल मैं बहुमुखी प्रतिभा की पुलिंदा हु।  बेशक मैं शारीरिक रूप से विकलांग हु ,परंतु मेरी काबिलियत मेरी असमर्थता के साए से बहुत दूर है।  मैं जीवन में आर्थिक आज़ादी की प्रबल पैरोकार हु।  इसलिए लगातार काम की तलाश में रहती हु।  मुझे कई आने जाने में कोई दिक्कत नहीं होती , इस मामले में पूरी तरह आज़ाद हु। ''


 ''मैं संजय लीला भंसाली के संपर्क में गुजारिश से पहले से ही थी ,जिसमें रानी मुखर्जी ने नेत्रहीन ,मूक और बधिर लड़की का किरदार निभाया था।  एक Disable Activity के नाते मुझे फिल्म की कई बाते पसंद नहीं आई।  मैंने संजय को फ़ोन कर बता दिया।  उन्हें मेरे सुझाव अच्छे लगे।  मैं उनसे 2009 में मिली और हम धीरे धीरे दोस्त बन गए।  इसलिए जब वो गुजारिश बना रहे थे तो बतौर सलाहकार उन्होंने मुझे फिल्म में मौका दिया।  उन्होंने बताया की ऋतिक एक बीमार युवक का किरदार कर रहे है।  इसलिए वह मुझसे training लेना चाहते है।  हालांकि उस समय मैं दिल्ली में रह रही थी।  लिहाज संजय ने मुझसे पूछा की ऋतिक दिल्ली आ जाये या मैं मुंबई आऊँगी ? तब मैंने फ़ौरन मुंबई आने का फैसल किया , क्यों की मुंबई मेरा ड्रीम शहर है। ''
 
दिव्या आगे बताती है ,'' शुरुवाती चरण में ऋतिक ने मेरी बीमारी से जुडी हर जानकारी पर गंभीरता से गौर किया , मसलन मैं कसी तरह अपना जीवन जी रही हु , मेरी दिनचर्या क्या है आदि।   मै तो कहूंगी की ऋतिक पूरी तरह से निर्देशक और अभिनेता है।  लिहाज उन्होंने Cerebral Palsy बीमारी के बारे में मुझसे काफी जानकारीयां ली।  उन्हें पता था की इस बीमारी के बारे में उन्हें केवल ,मैं जानकारी दे सकती हु।  वह बेहतरीन Student है।  गुजारिश की Shooting के दौरान वो हमेशा  मेरे साथ ही रहते थे।  मैं कैसे बात करती हु , मेरे हाव -भाव सब उन्होंने नोटिस किए और पर्दे पर उन्हें बेहतरीन तरीके से उतारा।  ऋतिक ने गुजारिश में कमाल का अभिनय किया।  उन्होंने फिल्म में वो सब किया जो मैं रोजाना अपने जीवन में करती रही हु। ''


दिव्या कहती है की ,'' मुझे राष्ट्रपती पुरस्कार मिला है।  बतौर अभिनेत्री , रायटर , डायरेक्टर  मैं पिछले 12 साल से ज्यादा समय से print एवं web और दूसरे माध्यम के लेखन Writing कर रही हु और मैं wheelchair से ही मंच पर राज कर रही हु।  मैंने collage के दिनों में 25 से ज्यादा नाटको का निर्देशन किया था। ''

'' कई -कई रात मैं बिल्कुल नहीं सो पाती।  मैं  अपने लेखन में इतना रम जाती हु की कब रात बीत जाती है मुझे पता ही नहीं चलता।  हालांकि सुबह नींद  खुलते ही मैं जीवन में अपने मकसद के बारे में सोचती हु।  और अपने जीवन में आई खुशियो और प्यार के बारे में सोचती हु।  उसके बाद मैं  तैयार होती हु।  और जुहू में अपने Office जाती हु।  मैं Taxi लेती हु जो मेरा इंतजार करती है।  दिव्या मोरानी समूह के सिनेयुग एंटरटेनमेंट नाम की कंपनी में Creative Associate है।  वो कहती है की मुझे इस Group के साथ काम करने में बड़ा गर्व महसूस होता है ''क्यों की उन्होंने मेरे Creative Talent का इस्तेमाल किया। ''

अभिनेत्री ,डायरेक्टर ,कवयत्री ,संगीतकार ,पेंटर,एक्टिविस्ट ,मॉडल ,और भाषाविद दिव्या अपनी माँ को अपनी सबसे बड़ी प्रेरणा और दोस्त मानती है।  दिव्या को बहोत से languages आती है जैसे English ,French , Hindi ,Punjabi,Bengali ,और Nepali दिव्या कहती है की मेरी माँ मेरे लिए सब कुछ है मेरे प्रेरणा मेरे दोस्त वही है। 

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